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चंद्रमा और नक्षत्रों का संबंध
Sep 15, 2023 by Dr. R.K.Pathak "Mayank"
Dr. R.K.Pathak "Mayank"
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(Empowering the Generation)
चंद्रमा और नक्षत्रों का संबंध
भारतीय ज्योतिष में चंद्र राशि को अधिक प्रधानता दी जाती है जबकि पाश्चात्य ज्योतिष में सूर्य राशि को।
जन्म कालिक नक्षत्र के आधार पर चंद्र राशि, महादशा और ग्रहों के गोचर शनि की साढेसाती, ढैया आदि का विचार किया जाता है। जन्मकालिक नक्षत्र के आधार पर चंद्र की राशि का निर्धारण होता है। चंद्रमा सभी नक्षत्र पर 27 दिन में अपना भ्रमण पूरा कर लेते हैं जिसे एक चंद्र मास की संज्ञा दी जाती है।
अब प्रश्न उठता है कि चंद्रमा इन नक्षत्रों के अधिपति हैं या स्वामी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार
चंद्रदेव का विवाह ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति दक्ष और उनकी पत्नी वीरणी की सत्ताईस पुत्रियों से हुआ था। चंद्रमा लगभग एक अहोरात्र अपने एक पत्नी अर्थात नक्षत्र के पास निवास करते हैं। पति को स्वामी की संज्ञा भी दी जाती है इसलिए पौराणिक मान्यता के अनुसार बात करें तो चंद्रमा नक्षत्रों के स्वामी हुए।
चंद्र देव को श्राप और उससे मुक्ति
आप सबको यह भी ज्ञात होगा कि चंद्र इनमें से रोहिणी से अधिक प्रेम करते थे। कहते हैं चंद्रमा अपनी पत्नी रोहिणी से इतना प्रेम करने लगे कि अन्य 26 पत्नियां चंद्रमा के बर्ताव से दुखी हो गईं। जिसके बाद सभी 26 पत्नियों ने अपने पिता दक्ष प्रजापति से चंद्र की शिकायत की। बेटियों के दुख से क्रोधित दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे डाला। दक्ष के श्राप के बाद चंद्रमा क्षयरोग के शिकार हो गए। श्राप से ग्रसित होकर चंद्रमा का तेज क्षीण पड़ने लगा। इससे प्रकृति में असंतुलन होने लगा। भगवान शिव की तपस्या करने के बाद चंद्रमा इस श्राप से मुक्त हुए। चंद्रमा को गणेश जी ने भी श्राप दिया था और बाद में उसका परिमार्जन भी किया था।
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार
नक्षत्र के आधार पर ही व्यक्ति का जन्म, चंद्र राशि महादशा आदि निर्धारित होती है। नक्षत्र का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सर्वाधिक पड़ता है साथ ही चंद्रमा शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग मन के कारक होते हैं। वेद में चंद्रमा मनसो जात: कहा गया है। इसलिए कुछ विद्वानों की मान्यता के अनुसार चंद्रमा नक्षत्र के अधिपति कहे जाते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के देवता अलग होते हैं। नक्षत्र के स्वामी अलग होते हैं। इसलिए चंद्रमा को नक्षत्र स्वामी ज्योतिष की दृष्टि से कहना उपयुक्त नहीं है। क्योंकि 27 नक्षत्र का स्वामित्व नवग्रहों में विभाजित किया गया है जिसके आधार पर व्यक्ति की विंशोत्तरी, योगिनी आदि दशाएं निर्धारित होती हैं। यहां पर चंद्रमा नक्षत्र स्वामी न होकर सिर्फ अपने स्वामित्व वाली कर्क राशि के राशि स्वामी होते हैं।
उदाहरण स्वरूप: अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार, नक्षत्र स्वामी केतु और राशि स्वामी मंगल हैं।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवेचन के आधार पर मेरा अपना स्वयं का मत है कि धर्मशास्त्र एवं पौराणिक मान्यता के अनुसार चंद्रमा नक्षत्र के स्वामी हैं परंतु ज्योतिषीय दृष्टिकोण से चंद्रमा नक्षत्र के अधिपति तो कहे जा सकते हैं लेकिन स्वामी नहीं।