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भाव एवं कस्प पद्धति
May 6, 2023 by HRIDAYA NAND RAAO
भाव एवं कस्प का निर्धारण निश्चय ही आधारभूत ज्योतिष के अध्ययन का सबसे विवादास्पद बिषय है। जबकि यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण और अर्थपूर्ण हैं, इस बिन्दु पर लगभग सार्वभौमिक सहमति है। हालांकि इस बारे में मतभिन्नता हैं कि किस प्रणाली का उपयोग करना है ? एक दर्जन से अधिक भाव और कस्प गणना पद्धतियाँ हैं, साथ ही भाव और कस्प के महत्व के बारे में भिन्नता भी है। कुछ ज्योतिषी घरों के अंतर्निहित प्रतीकवाद को समझते हैं क्योंकि अधिकांश प्रणालियों का निर्माण राशि चक्र में ग्रहों की स्थिति की गणना से कहीं अधिक सारगर्भित है।
लग्न एवं भाव साधन पद्धतियां: अध्ययन के दौरान यह देखने को मिला कि लग्न एवं भाव साधन की लगभग 27 पद्धत्तियां है, ऐसा वर्णन मिलता है। उनमें से कुछ मुख्य निम्नांकित हैं ၊
1. गोलार्ध पद्धति Placidus method
2. श्रीपती पद्धति Porphyry method
3. क्षितिज भाव पद्धति Horizontal method
4. माध्यान्ही/अक्षीय पद्धति Meridian/Axial method
5. बहु विषुवीय पद्धति Poly equatorial method
6. गोलार्ध दिन मान पद्धति Natural graduation method
7. समभाव पध्दत्ति Equal house system
8. दशम समभाव पद्धति Zenith equal house method
9. लवंगीनी पद्धति Lavangini method
सामान्य रुप से दैवज्ञ कौन सी पध्दत्ति से लग्न एवं भाव साधन करते हैं ? इन पद्धतियों की गणना कैसे की जाती है ?क्या इन पद्धति से किये गये गणना से लग्न और भाव के अंश समान होगें ? अगर भिन्न होंगें तो, भविष्य कथन में क्या अन्तर पडेगा ? कम्प्यूटर के विभिन्न सॉफ्टवेयर में कौन सी पद्धति का प्रयोग होता है ? इनमें से सबसे सटीक कौन सी है ? अगर कोई एक ही सटीक है, तो अन्य पद्धतियों की क्या अवश्यकता ?
प्लेसीडियस प्रणाली पश्चिमी दुनिया में सबसे लोकप्रिय प्रणाली है। इसकी सफलता इसकी प्रभावशीलता के रूप में व्यापक प्रकाशन और इसकी तालिकाओं पर आधारित है। यह अर्ध-दैनिक चाप के त्रि-खंड पर आधारित है, एक प्रक्रिया जो दशम भाव और आरोही के बीच की दूरी/समय को विभाजित करती है। वास्तव में, अधिकांश प्रणालियाँ मध्य आकाश को दसवें भाव के शिखर के और प्रथम भाव के रूप में उपयोग करती हैं। बीच के अन्य भाव कस्प की गणना में आते हैं, जिन्हें मध्यवर्ती भाव कहा जाता है।
"अर्ध-दैनिक चाप का त्रि-खंड" (दिन के एक चौथाई भाग को तीन भागों में विभाजित करना)। कई विद्वानों का मानना है कि यह एक मनमानी गणितीय प्रणाली है,जो अधिकांश पाश्चात्य ज्योतिषियों के लिए मानक बन गया है। लेकिन, इस तकनीक की गूढ़ समझ के बिना ही हम इसे विश्वास और अनुभव के आधार पर स्वीकार कर रहे हैं। यह धारणा है कि "यह काम करता है" यह मान्यता ज्योतिष को कमजोर करती है। "यह काम करता है" इस तकनीक का उपयोग करने का एक मान्य कारण है, लेकिन इसे श्रेष्ठ एवं अन्य प्रणालियों को कमतर नहीं कह सकते जो आपके लिए काम नहीं करते हैं। भिन्न भिन्न ज्योतिषी विभिन्न तकनीकों से संबंध होता है, इसकी प्रभावशालीता एवं लोकप्रियता अभ्यासी में होता है, तकनीक में नहीं।
कई ज्योतिषी कस्पल कुंडली की बहुत सटीक व्याख्या करते हैं। यदि आपके पास तीसरे घर के एक मिनट का (एक डिग्री का 60 वां हिस्सा) ग्रह है, तो इसकी व्याख्या इस तरह की जाती है जैसे कि यह दूसरे घर में है। कस्प को पार करते समय पारगमन और गोचर की भी सूचना दी जाती है। इस दृष्टिकोण के बारे में कई कारणों से कुछ प्रश्न हैं:
1. अलग-अलग भाव सिस्टम अलग-अलग कस्प स्थिति देंगे।
2. जन्म समय में 4 मिनट की त्रुटि कस्प में लगभग एक डिग्री का अन्तर प्रदर्शित करता है।
3. टॉलेमी ने भाव कस्प को 5 डिग्री ऑर्ब दिया (समान भाव सिस्टम के साथ)।
4. हिंदू भाव पद्धति (श्रीपति पद्धति) एक घर के मध्य को उसके सबसे मजबूत बिंदु को मानती है, यद्यपि वह भी भवारंभ ही होता है।
5. गौक्वेलिन शोध एक कस्प को ओर्ब देने का सुझाव देता है।
6. ह्यूबर स्कूल एक भाव के भीतर उच्चतम को पहचानता है, न कि शिखर को।